तुम अगर शायरा हो तो बताओ, बयाँ तुम्हारे राज़ करोगी क्या तुम मेरे नाम पे ज़ाया,अपने कुछ अल्फ़ाज़ करोगी ज़िस्म पे चोट तो लगती रहती है आये दिन मुझको पर असल चोट तो दिल पे लगी है,क्या उसका ईलाज करोगी --प्रशान्त मिश्रा क्या इसका ईलाज करोगी???