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मेरी नज़रें ------------ दुनिया में ना जाने कितने,

मेरी नज़रें
------------
दुनिया में ना जाने कितने,सुन्दर विहंगम दृश्य हैं,
मेरी नजरें कुछ अलग ही नज़ारे देख रहीं हैं।
सामने बहती है एक सदा बहार सुंदर सरिता ,
मेरी नज़रें इसके  बिछुड़े  हुए किनारे देख रहीं हैं।
देखो सामने खड़ी ,एक सुंदर खानदानी हवेली,
मेरी नज़रें तो दीवारों की  दरारें देख रहीं हैं।
दुनिया में पैदा हुए एक से बढ़कर एक सिकंदर,
मेरी  नज़रें  मृत्यु  से उनकी  हारें  देखती  हैं।
ना जाने कितनी उथल-पुथल सहती है , मेरी ज़मीं,
मेरी नज़रें तो प्रकृति के इशारे देख रहीं हैं।
कोई संत कह रहा है , बुरा वक्त आने वाला है ,
मेरी नज़रें तो भविष्य में भी बहारें देख रहीं हैं ।
                                 पुष्पेन्द्र पंकज
                                 धौलाना हापुड़
                                 8126795656

©Pushpendra Pankaj मेरी नज़रें
मेरी नज़रें
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दुनिया में ना जाने कितने,सुन्दर विहंगम दृश्य हैं,
मेरी नजरें कुछ अलग ही नज़ारे देख रहीं हैं।
सामने बहती है एक सदा बहार सुंदर सरिता ,
मेरी नज़रें इसके  बिछुड़े  हुए किनारे देख रहीं हैं।
देखो सामने खड़ी ,एक सुंदर खानदानी हवेली,
मेरी नज़रें तो दीवारों की  दरारें देख रहीं हैं।
दुनिया में पैदा हुए एक से बढ़कर एक सिकंदर,
मेरी  नज़रें  मृत्यु  से उनकी  हारें  देखती  हैं।
ना जाने कितनी उथल-पुथल सहती है , मेरी ज़मीं,
मेरी नज़रें तो प्रकृति के इशारे देख रहीं हैं।
कोई संत कह रहा है , बुरा वक्त आने वाला है ,
मेरी नज़रें तो भविष्य में भी बहारें देख रहीं हैं ।
                                 पुष्पेन्द्र पंकज
                                 धौलाना हापुड़
                                 8126795656

©Pushpendra Pankaj मेरी नज़रें