मैंने रात भर दूसरों के घर के उजाले देखे हैं पर अपने घर उजालों में भी अंधेरा पाया खुशबू तेरी दूर तलक फैली थी लेकिन अपने करीब तेरी खुशबू नहीं रख पाया ज़िंदगी तेरे साथ जीने के मुताबिक़ बहुत कम थी मैं ढूंढता रहा अपनी मंज़िल और कभी पहुँच नहीं पाया ©Richa Dhar मंजिल