कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 4 :- अकेली ज़िन्दगी (कविता) *************************** अकेली ज़िन्दगी को खुशनुमा बनाने तुम आए। सदियों की फैली उदासी को भुलाने तुम आए। तुम आए तो बहारों का मौसम भी प्यारा लगा। ख़ुशमिज़ाजी से हमको जीना सिखाने तुम आए। तन्हा बसर करते थे हम इन वीरानियों में कभी। मेरी तन्हाई और वीरानियों को मिटाने तुम आए। बड़ी अकेली थी ज़िन्दगी मेरी सहरा की तरह। मधुर संगीत मेरे कानों में गुनगुनाने तुम आए। तुम आये तो खुद को भी खूब पहचाना हमने। दुनिया को मेरी सही पहचान बताने तुम आए। कोरा काग़ज़ Premium Challange-21 विषय 4 :- अकेली ज़िन्दगी (कविता) अकेली ज़िन्दगी को खुशनुमा बनाने तुम आए। सदियों की फैली उदासी को भुलाने तुम आए। तुम आए तो बहारों का मौसम भी प्यारा लगा। ख़ुशमिज़ाजी से हमको जीना सिखाने तुम आए।