ख्वाहिशें पूरी भी हुईं कुछ अधूरी भी रहीं तुम्हारे साथ रहकर भी इक दूरी सी रही। कुछ वादे कुछ कसमें कुछ जमाने की रस्में हमेशा संग अपने कोई न कोई मजबूरी रही। इतने बदनाम हुए मुहब्बत में तेरी ओ सनम तेरे नाम से जानते हैं इश्क़ में ऐसी मशहूरी हुई। जीने को हम भी जी लेते जिंदगी संग तुम्हारे असल जिंदगी में कई और काम भी जरुरी रही। ख्वाहिशें पूरी भी हुईं कुछ अधूरी भी रहीं तुम्हारे साथ रहकर भी इक दूरी सी रही। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 30.09.2020 ख्वाहिशें