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मैं सिर पकड़ कर बैठ गया। जहां आज मेरा नौकरी के लिए

मैं सिर पकड़ कर बैठ गया। जहां आज मेरा नौकरी के लिए साक्षात्कार था, वही से था यह फोन।
 मुझे यह नौकरी मिलने की बड़ी उम्मीद थी, सोचता था नौकरी करके अपने घर के काम में हाथ बटाऊंगा। तभी सिर पकड़े हुए मां ने मुझे देखा और कहा " क्या हुआ बेटे तुम्हें तो इंटरव्यू के लिए जाना था।" मां वहीं से तूफान आया था, बता रहे थे वहां पर किसी और को ले लिया है"।
 बस इतनी सी बात, तू मेरा होनहार बेटा है, आज नहीं तो कल तेरी अच्छी सी नौकरी लग जानी है,इतना मायूस क्यों होता है" मां ने मेरे सिर पर  प्यार से जो हाथ रखा था। उस ममता के मलहम का असर में आज भी महसूस करता हूँ।

©Kamlesh Kandpal #ममता का मलहम "
मैं सिर पकड़ कर बैठ गया। जहां आज मेरा नौकरी के लिए साक्षात्कार था, वही से था यह फोन।
 मुझे यह नौकरी मिलने की बड़ी उम्मीद थी, सोचता था नौकरी करके अपने घर के काम में हाथ बटाऊंगा। तभी सिर पकड़े हुए मां ने मुझे देखा और कहा " क्या हुआ बेटे तुम्हें तो इंटरव्यू के लिए जाना था।" मां वहीं से तूफान आया था, बता रहे थे वहां पर किसी और को ले लिया है"।
 बस इतनी सी बात, तू मेरा होनहार बेटा है, आज नहीं तो कल तेरी अच्छी सी नौकरी लग जानी है,इतना मायूस क्यों होता है" मां ने मेरे सिर पर  प्यार से जो हाथ रखा था। उस ममता के मलहम का असर में आज भी महसूस करता हूँ।

©Kamlesh Kandpal #ममता का मलहम "
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Kamlesh Kandpal

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