माजी में जख़्म खाए हैं तो दुखेंगे ही, कुरेदते क्यों हो? आगे बढ़ना है गर मकसद तो बार-बार मुड़ते क्यों हो? वक्त तो आएगा , वक्त से ही; उसका एहतराम करना, थोड़ा जज़्बा भी रखो वरना समन्दर में उतरते क्यों हो। ये शौक़ रखते हो कि हर महफ़िल में तुम्हारे चर्चे हों, सिमट के अपने ही दामन में, यूं छुप के निकलते क्यों हो? जो खौफ इतना सता रहा है , राह की दुश्वारियां का; सुकून से घर में रहो , इश्क की राह में निकलते क्यों हो! #माजी तो माजी है, उसका क्या मलाल! आगे बढ़ना है तो सामने देखना शुरू करना ही पड़ेगा। #yqdidi #yqhindiurdu #yqshayarii #jayakikalamse