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कल तलक दिल था जिगर था वो मेरा कौन जाने अब किधर

कल तलक दिल था जिगर था वो मेरा
कौन  जाने  अब  किधर  था  वो  मेरा !

आज   उससे   वास्ता   कोई   न   था
कल  घनी  शब का  सहर था वो मेरा !

चाहता  दिल  था  कहीं  रुकना  नहीं
फिर  बिना मंज़िल सफ़र था वो मेरा !

मैं   जहाँ   रुस्वा  हुआ   वो  रो  उठा
जो कहो  आख़िर  शहर था  वो मेरा !

मैं   जलाता  जा  रहा  था  घर  कई
जो  जला है  आज  घर था वो मेरा !

©malay_28 #सफ़र
कल तलक दिल था जिगर था वो मेरा
कौन  जाने  अब  किधर  था  वो  मेरा !

आज   उससे   वास्ता   कोई   न   था
कल  घनी  शब का  सहर था वो मेरा !

चाहता  दिल  था  कहीं  रुकना  नहीं
फिर  बिना मंज़िल सफ़र था वो मेरा !

मैं   जहाँ   रुस्वा  हुआ   वो  रो  उठा
जो कहो  आख़िर  शहर था  वो मेरा !

मैं   जलाता  जा  रहा  था  घर  कई
जो  जला है  आज  घर था वो मेरा !

©malay_28 #सफ़र