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बिन भाव के वो प्यार ही, प्यार क्या है? जिस प्यार

बिन भाव के
वो प्यार ही, प्यार क्या है? 
जिस प्यार में, खुद से प्यार का भाव ही न हो।
वो सूरत ही, सूरत क्या है? 
जिस सूरत में, संतोष की लालिमा का भाव न हो।
वो पहाड़ ही, पहाड़ क्या है? 
जिस पहाड़ से, गर्व के एहसास होने का भाव न हो।
वो मिट्टी ही, मिट्टी क्या है?
जिस मिट्टी में, भीनी भीनी सी खुशबू का भाव न हो।
वो संस्कृति ही, संस्कृति क्या है?
जिस संस्कृति में, समरसता के एक एक कड़ी का भाव न हो।
वो युद्ध मैदान ही, युद्ध मैदान क्या है?
जिस युद्ध मैदान मे, वीरता के टपके खून का भाव न हो।
वो इंसान ही, इंसान क्या है?
जिस इंसान में, दया का रंच भर भी भाव न हो।
अगर आप में कुछ भी नहीं
फिर दूसरों से कुछ थोड़ा, कुछ ज्यादा पाने का इरादा क्यों रखते हो
जब आप ही खुद
दूसरों से लेने के बजाय, दूसरों को कुछ देने का भाव न रखते हो।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #बिन भाव के

बिन भाव के
वो प्यार ही, प्यार क्या है? 
जिस प्यार में, खुद से प्यार का भाव ही न हो।
वो सूरत ही, सूरत क्या है? 
जिस सूरत में, संतोष की लालिमा का भाव न हो।
वो पहाड़ ही, पहाड़ क्या है?
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

Silver Star
New Creator

#बिन भाव के बिन भाव के वो प्यार ही, प्यार क्या है? जिस प्यार में, खुद से प्यार का भाव ही न हो। वो सूरत ही, सूरत क्या है? जिस सूरत में, संतोष की लालिमा का भाव न हो। वो पहाड़ ही, पहाड़ क्या है? #कविता

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