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हरियाणा- महाराष्ट्र जनादेश ** 24 अक्तुबर को हरियाण

हरियाणा- महाराष्ट्र जनादेश **
24 अक्तुबर को हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों ने फिर से भारतीय राजनीति की दिशा को बदल दिया। दोनों ही राज्य पहले भाजपा के पास थे और इस बार पार्टी पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही थी। किन्तु शिवसेना और निर्दलीयों को साथ लेकर दोनों राज्यों को जैसे तैसे बचाने का जुगाड़ कर रही है। राष्ट्रवाद का मुद्दा लोकसभा में तो भाजपा के लिए काम कर गया लेकिन इस बार शायद स्थानीय मुद्दों पर जनता ने उसे नकार दिया।  चुनावी नतीजे कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। कांग्रेस की गुटबाजी अगर हरियाणा में नहीं होती तो शायद उनकी सरकार बनना तय ही था। जीवन के सात  दशक देख चुके दो बुजुर्ग नेताओं हुड्डा और पवार ने जोरदार वापसी की। दुष्यंत चौटाला, दीपेंद्र हुड्डा और आदित्य ठाकरे जैसे युवाओं ने भी अपना दम दिखाया। 
कुल मिलाकर अच्छी बात यह रही कि विपक्ष अभी जिंदा है। अगर विपक्ष फिर से सुसंगठित हो जाए तो लोक तंत्र सही मायने में फिर से जीवंत हो जाएगा। चुनाव परिणाम
हरियाणा- महाराष्ट्र जनादेश **
24 अक्तुबर को हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों ने फिर से भारतीय राजनीति की दिशा को बदल दिया। दोनों ही राज्य पहले भाजपा के पास थे और इस बार पार्टी पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही थी। किन्तु शिवसेना और निर्दलीयों को साथ लेकर दोनों राज्यों को जैसे तैसे बचाने का जुगाड़ कर रही है। राष्ट्रवाद का मुद्दा लोकसभा में तो भाजपा के लिए काम कर गया लेकिन इस बार शायद स्थानीय मुद्दों पर जनता ने उसे नकार दिया।  चुनावी नतीजे कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। कांग्रेस की गुटबाजी अगर हरियाणा में नहीं होती तो शायद उनकी सरकार बनना तय ही था। जीवन के सात  दशक देख चुके दो बुजुर्ग नेताओं हुड्डा और पवार ने जोरदार वापसी की। दुष्यंत चौटाला, दीपेंद्र हुड्डा और आदित्य ठाकरे जैसे युवाओं ने भी अपना दम दिखाया। 
कुल मिलाकर अच्छी बात यह रही कि विपक्ष अभी जिंदा है। अगर विपक्ष फिर से सुसंगठित हो जाए तो लोक तंत्र सही मायने में फिर से जीवंत हो जाएगा। चुनाव परिणाम