"कहां से लाऊं ऐसा मीत" जो मीलों रहकर जान सके... बिन कहे सुने पहचान सके... कहां से लाऊं ऐसा मीत....? मन के इस निर्मम पीड़ा को... नि: शब्द हुए संवेदों को... कहां से लाऊं ऐसा गीत...? जो मीलों रहकर जान सके! कहां से लाऊं ऐसा मीत? मुस्कान तले उन कष्टों को... आशा से रहित निराशा को... कहां से लाऊं आशातीत..? जो मीलों रहकर जान सके! क्षण क्षीप्ति चक्षु के घेरों को... प्रकाश रहित अंधेरों को... कहां से लाऊं ऐसा दीप्ति..? जो मीलों रहकर जान सके! एक प्रेम दिवानी राधा को... दुजी दरशन प्यासी मीरा को... कहां से लाऊं ऐसी प्रीति..? जो मीलों रहकर जान सके! इस निश्छल प्रेम की शक्ति को.. उस दरश भाव की भक्ति को... कहां से लाऊं आत्म पुनीत..? जो मीलों रहकर जान सके! कहां से लाऊं ऐसा मीत....? #BasEkSoch #samvedita💌 #lovefriendship #Yaari