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चाहत का सूरज अभी निकला ही था कि इज़हार की दोपहर आ ग

चाहत का सूरज अभी निकला ही था कि
इज़हार की दोपहर आ गई...

इज़हार की दोपहर अभी आई ही थी कि
यादों के श्याम आ गई...

यादों के श्याम अभी आई ही थी कि
दिल में इश्क़ की आग शुरू हो गई...

दिल में इश्क़ की आग अभी शुरू ही होई थी कि
बिछड़न की बरसात आ गई...

Rakesh Nishad चाहत का सूरज
चाहत का सूरज अभी निकला ही था कि
इज़हार की दोपहर आ गई...

इज़हार की दोपहर अभी आई ही थी कि
यादों के श्याम आ गई...

यादों के श्याम अभी आई ही थी कि
दिल में इश्क़ की आग शुरू हो गई...

दिल में इश्क़ की आग अभी शुरू ही होई थी कि
बिछड़न की बरसात आ गई...

Rakesh Nishad चाहत का सूरज

चाहत का सूरज #Shayari