अजीब चलन चल पड़ा है हिसाब किताब रखने का बिन मोल की चाहत पाकर सौदा भाईचारो का करते है । तनहा शायर हुँ अजीब चलन अजीब चलन चल पड़ा है हिसाब किताब रखने का बिन मोल की चाहत पाकर सौदा भाईचारो का करते है । तनहा शायर हुँ