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अजीब चलन चल पड़ा है हिसाब किताब रखने का बिन मोल

अजीब चलन चल पड़ा है 
हिसाब किताब रखने का 
बिन मोल की चाहत पाकर 
सौदा भाईचारो का करते है  । 

तनहा शायर हुँ अजीब चलन अजीब चलन चल पड़ा है 
हिसाब किताब रखने का 
बिन मोल की चाहत पाकर 
सौदा भाईचारो का करते है  । 

तनहा शायर हुँ
अजीब चलन चल पड़ा है 
हिसाब किताब रखने का 
बिन मोल की चाहत पाकर 
सौदा भाईचारो का करते है  । 

तनहा शायर हुँ अजीब चलन अजीब चलन चल पड़ा है 
हिसाब किताब रखने का 
बिन मोल की चाहत पाकर 
सौदा भाईचारो का करते है  । 

तनहा शायर हुँ

अजीब चलन अजीब चलन चल पड़ा है हिसाब किताब रखने का बिन मोल की चाहत पाकर सौदा भाईचारो का करते है । तनहा शायर हुँ