करोना मेरे घर आ के गया फुर्सत में था कुछ रोज ठहर के गया। जिंदगी के पाठ सिखा के गया। आया तो था मुझसे मिलने चार चार दिन के लिए पर घर के चारों जनों संग भी समय बिता के गया। पहले मैं अकेला ही पाजिटिव था सभी को पाजिटिव बना के गया। मुसीबत से मिलकर एकजुट होकर कैसे अपनी देखरेख कर कैसे इक दूजे का हौसला बनना है जीवन के गुर सिखा के गया। कौन है अपना कौन है बेगाना कौन खड़ा इस मुश्किल की घड़ी में सतगुरु की सीख प्रैक्टिकल में सिखा के गया। करोना मेरे घर आ के गया फुर्सत में था कुछ रोज ठहर के गया। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ करोना अतिथि भवः