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मैं लिख पाऊं कुछ तो मैं खुद को लिखूंगा खुद के हि

मैं लिख पाऊं कुछ तो 
मैं खुद को लिखूंगा 
खुद के हिस्से का दर्द
गम सब लिखूंगा 
वो मायूसी भरे दिन
वो रोती हुई रातें लिखूंगा 
कुछ ख्वाब अधूरे
कुछ शिकायतें लिखूंगा
कुछ शोर अपना
कुछ सन्नाटे लिखूंगा 
सबसे दूर लेकिन
खुद के करीब लिखूंगा
मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा
लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में
फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!!

©Rishi Ranjan  Rakesh Srivastava  Anupriya  Ambika Jha  Rajni  कवि मोहन 'रिठौना'  Extraterrestrial life love poetry in hindi hindi poetry on life love poetry for her poetry quotes
मैं लिख पाऊं कुछ तो 
मैं खुद को लिखूंगा 
खुद के हिस्से का दर्द
गम सब लिखूंगा 
वो मायूसी भरे दिन
वो रोती हुई रातें लिखूंगा 
कुछ ख्वाब अधूरे
कुछ शिकायतें लिखूंगा
कुछ शोर अपना
कुछ सन्नाटे लिखूंगा 
सबसे दूर लेकिन
खुद के करीब लिखूंगा
मैं खुद को बदनसीब लिखूंगा
लिखूंगा मैं खुद को खुली किताब में
फिर उस किताब को बेनाम लिखूंगा...!!

©Rishi Ranjan  Rakesh Srivastava  Anupriya  Ambika Jha  Rajni  कवि मोहन 'रिठौना'  Extraterrestrial life love poetry in hindi hindi poetry on life love poetry for her poetry quotes
rishiranjan1390

Rishi Ranjan

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