क़भी रुकना न पड़े तुम्हें उस मोड़ पर, जहाँ मैं रुक सा गया हूँ ख़ुद की उम्मीदों को दफन कर, मैं मुश्किलों के चलते झुक सा गया हूँ। यू हमें न शिखाओं पाठ ज़िन्दगी के, क़भी मुर्दे को भी चलते देखे हो क्या, ये जो बातें करतें हो तुम क़ामयाबी के, क़भी ख़ुद के ख़्वाब मरते देखे हो क्या ©Amar Singh #amar61090 #LastNight