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" ए मेरी सखी ,सोनिया ,तूं कैसी है , मैं तुझे बहुत

" ए मेरी सखी ,सोनिया ,तूं कैसी है ,
मैं तुझे बहुत ही ,याद करती हूं ,
मेरे भाइयों से , ज़्यादा तेरी याद आती है ,
मैं यह शादी ,नहीं चाहती थी ,
मैं अभी कुछ देर खेलना चाहती थी ,
हम दोनों ,ने आगे भी पढ़ना था ,
और हां , वो तुम्हारी ,मोहाली वाली 
, जॉब का क्या हुआ , ठीक , चल रही हैं ना ।।

" सखी "दिल"करता है , 
सबकुछ छोडछाड़ कर ,
तेरे पास आ जाऊं ,
तेरे साथ रहूं ,
वैसे सखी , मैं , तुझसे एक बात कहना चाहती हूं ,

" बात यह है की ,लड़का जैसा दिखता है ,
वैसा है नहीं ,
झूठ बोला गया था ,हमें की ,ये नशा नहीं करता ,
ये नशा करने के बाद ,हैवान हो जाता है ,
" मेरे शरीर को भोगना चाहता है बस ,
बदकिस्मती से मैं ,कुछ सुंदर तो हूं  ही ,
मगर मुझे अपने ,शरीर से घिन आती है ।।

वो मुझे मसलता है ,कुचलता है ।।
मेरे स्तनों को खा जाना चाहता है ,
मेरे एक स्तन में तो ,रेशा पड़ गया है ,
मेरे गाल पर दांत गाड़ दिए उसने ,
अभी तक निशान नहीं जा रहा है ,
मैं बहुत रोती हूं ,
मैंने उससे कल रात कहा कि ,
मेरा आज मन नहीं है ,
लेकिन जबरदस्ती से ,
वो मेरा ब्लातकार करता रहा ,
अब मैं इस पर क्या मुकदमा करूं ,
रात को बदन कुचला जाता है मेरा ,
दिन में , सास तानों से ,दिल कुचल देती है ।।

" मेरा पति , अपने यारों से ,मेरे हर अंग की ,
व्याख्या करता रहा ,
यूं तो घूंघट है , मुझ पर ,
 लेकिन , इज्ज़त मेरी रोज़ लूटी जाती है "

" अब मेरी ,योनि , से उसका मन भर गया ,
मेरी गुदा ,पर ,हैवानियत निकाली जाती है ,
माहवारी के दिनों में भी ,नही छोड़ता वो "

"क्या हम लडकियां , सिर्फ भोग की वस्तु है ,
हमारे अंदर रूह नहीं है ,?
हमारी रूह को ,कोई नहीं जानता ,
हमें प्यार की जरूरत है ।।

"अरे एक दिन तो चलना भी मुश्किल था ,
सास, दिन में काम करवाती रही ,
और पति रात को , कुचलता रहा "

" रात को बारह - एक बजे ,
आता है ,
नींद में सोई हुई को जगाता है "
मुझे मेरी मां ने कभी ,सुबह होने पर नहीं जगाया ,
ये आधी रात के बाद मुझे जगाता है ,
ना जागूं तो ,खुद ही सलवार खोलने लगता है "

"मेरी सखी मैं ,क्या करूं ,
किस से कहूं ,भाई और घरवाले कहते हैं ,
की तेरा तूं जाने , अब निभाओ ,
जो बुआ ,मेरी जवानी पर , 
परेशान होकर ये , रिश्ता लेकर आई थी ,
वही अब मुझे ही ,समझा रही है ,

"जिस्म कुचलाना ही अगर शादी है तो ,
मैं यह शादी नहीं मानती ,सोनिया,
ओ सखी , मैं अब तलाक दूंगी"
अगर मुझे यह ना करने दिया ,तो मैं , मर जाऊंगी ।।

जोगा भागसरिया ।।

©Zoga Bhagsariya " ए मेरी सखी ,सोनिया ,तूं कैसी है ,
मैं तुझे बहुत ही ,याद करती हूं ,
मेरे भाइयों से , ज़्यादा तेरी याद आती है ,
मैं यह शादी ,नहीं चाहती थी ,
मैं अभी कुछ देर खेलना चाहती थी ,
हम दोनों ,ने आगे भी पढ़ना था ,
और हां , वो तुम्हारी ,मोहाली वाली 
, जॉब का क्या हुआ , ठीक , चल रही हैं ना ।।
" ए मेरी सखी ,सोनिया ,तूं कैसी है ,
मैं तुझे बहुत ही ,याद करती हूं ,
मेरे भाइयों से , ज़्यादा तेरी याद आती है ,
मैं यह शादी ,नहीं चाहती थी ,
मैं अभी कुछ देर खेलना चाहती थी ,
हम दोनों ,ने आगे भी पढ़ना था ,
और हां , वो तुम्हारी ,मोहाली वाली 
, जॉब का क्या हुआ , ठीक , चल रही हैं ना ।।

" सखी "दिल"करता है , 
सबकुछ छोडछाड़ कर ,
तेरे पास आ जाऊं ,
तेरे साथ रहूं ,
वैसे सखी , मैं , तुझसे एक बात कहना चाहती हूं ,

" बात यह है की ,लड़का जैसा दिखता है ,
वैसा है नहीं ,
झूठ बोला गया था ,हमें की ,ये नशा नहीं करता ,
ये नशा करने के बाद ,हैवान हो जाता है ,
" मेरे शरीर को भोगना चाहता है बस ,
बदकिस्मती से मैं ,कुछ सुंदर तो हूं  ही ,
मगर मुझे अपने ,शरीर से घिन आती है ।।

वो मुझे मसलता है ,कुचलता है ।।
मेरे स्तनों को खा जाना चाहता है ,
मेरे एक स्तन में तो ,रेशा पड़ गया है ,
मेरे गाल पर दांत गाड़ दिए उसने ,
अभी तक निशान नहीं जा रहा है ,
मैं बहुत रोती हूं ,
मैंने उससे कल रात कहा कि ,
मेरा आज मन नहीं है ,
लेकिन जबरदस्ती से ,
वो मेरा ब्लातकार करता रहा ,
अब मैं इस पर क्या मुकदमा करूं ,
रात को बदन कुचला जाता है मेरा ,
दिन में , सास तानों से ,दिल कुचल देती है ।।

" मेरा पति , अपने यारों से ,मेरे हर अंग की ,
व्याख्या करता रहा ,
यूं तो घूंघट है , मुझ पर ,
 लेकिन , इज्ज़त मेरी रोज़ लूटी जाती है "

" अब मेरी ,योनि , से उसका मन भर गया ,
मेरी गुदा ,पर ,हैवानियत निकाली जाती है ,
माहवारी के दिनों में भी ,नही छोड़ता वो "

"क्या हम लडकियां , सिर्फ भोग की वस्तु है ,
हमारे अंदर रूह नहीं है ,?
हमारी रूह को ,कोई नहीं जानता ,
हमें प्यार की जरूरत है ।।

"अरे एक दिन तो चलना भी मुश्किल था ,
सास, दिन में काम करवाती रही ,
और पति रात को , कुचलता रहा "

" रात को बारह - एक बजे ,
आता है ,
नींद में सोई हुई को जगाता है "
मुझे मेरी मां ने कभी ,सुबह होने पर नहीं जगाया ,
ये आधी रात के बाद मुझे जगाता है ,
ना जागूं तो ,खुद ही सलवार खोलने लगता है "

"मेरी सखी मैं ,क्या करूं ,
किस से कहूं ,भाई और घरवाले कहते हैं ,
की तेरा तूं जाने , अब निभाओ ,
जो बुआ ,मेरी जवानी पर , 
परेशान होकर ये , रिश्ता लेकर आई थी ,
वही अब मुझे ही ,समझा रही है ,

"जिस्म कुचलाना ही अगर शादी है तो ,
मैं यह शादी नहीं मानती ,सोनिया,
ओ सखी , मैं अब तलाक दूंगी"
अगर मुझे यह ना करने दिया ,तो मैं , मर जाऊंगी ।।

जोगा भागसरिया ।।

©Zoga Bhagsariya " ए मेरी सखी ,सोनिया ,तूं कैसी है ,
मैं तुझे बहुत ही ,याद करती हूं ,
मेरे भाइयों से , ज़्यादा तेरी याद आती है ,
मैं यह शादी ,नहीं चाहती थी ,
मैं अभी कुछ देर खेलना चाहती थी ,
हम दोनों ,ने आगे भी पढ़ना था ,
और हां , वो तुम्हारी ,मोहाली वाली 
, जॉब का क्या हुआ , ठीक , चल रही हैं ना ।।