एक सच ये भी है कि सरकारों ने नोट और वोट से ज़्यादा कुछ सोचा ही नहीं। कभी #किसान और उसकी ज़रूरतों के बारे में भी सोचिये। कभी #जलवायुपरिवर्तन और उभरते नए नए रोगों के बारे में सोचिये। #आत्महत्या करना भी एक मानसिक रोग है। देश में बढ़ते #कैंसर के साथ ही ये #बलात्कार भी एक महामारी जैसा बन चुका है ये रक्त बीज सा देश के हर कोने तक फैल गया है। #पाठकपुराण ।