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नवरात्रों में जिसे देवी बनाकर पूजते हो.. फिर क्यूँ

नवरात्रों में जिसे देवी बनाकर पूजते हो..
फिर क्यूँ उसे सरेआम लूटते हो....
ये कैसी विडंबना है आज के युग की,,
ऊपर से साफ़ और मन में मैल लिए घूमते हो..!

कलयुग के दुशासन बन द्रोपदी को छलते हो..
बेशर्म निगाहों से उनके रूह को कुचलते हो..
स्त्री नहीं, पुरुष नहीं, किन्नर नहीं...
इंसान के वेश में हैवान बन घूमते हो..!

अरे! कन्या तो इस सृष्टि की जननी है..
माँ के आँचल में पली-बढ़ी खिलती कली है..
शक्ति रूप का जागृत दर्शन है उनकी निगाहों में,,
स्वर में हो घुली मिश्री आंगन की फुलझड़ी है..
जब मान नहीं दे सकते उनको तो क्यों आडंवन करते हो....
क्यूँ?? देवी का रूप बनाकर नवरात्रों में उन्हें पूजते हो....!

©rishika khushi #कन्या
#देवी 
#NojotoEnglish 
#न Anshu writer  Shiv Narayan Saxena
नवरात्रों में जिसे देवी बनाकर पूजते हो..
फिर क्यूँ उसे सरेआम लूटते हो....
ये कैसी विडंबना है आज के युग की,,
ऊपर से साफ़ और मन में मैल लिए घूमते हो..!

कलयुग के दुशासन बन द्रोपदी को छलते हो..
बेशर्म निगाहों से उनके रूह को कुचलते हो..
स्त्री नहीं, पुरुष नहीं, किन्नर नहीं...
इंसान के वेश में हैवान बन घूमते हो..!

अरे! कन्या तो इस सृष्टि की जननी है..
माँ के आँचल में पली-बढ़ी खिलती कली है..
शक्ति रूप का जागृत दर्शन है उनकी निगाहों में,,
स्वर में हो घुली मिश्री आंगन की फुलझड़ी है..
जब मान नहीं दे सकते उनको तो क्यों आडंवन करते हो....
क्यूँ?? देवी का रूप बनाकर नवरात्रों में उन्हें पूजते हो....!

©rishika khushi #कन्या
#देवी 
#NojotoEnglish 
#न Anshu writer  Shiv Narayan Saxena