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उस पीड़ा का तुझे अनुमान नहीं जो सहती हूं हर माह क्

उस पीड़ा का तुझे अनुमान नहीं जो सहती हूं हर माह क्या उसका ज्ञान नहीं ।
परेशान हो गई हूं में तेरे इस बहाने से ये अब  रूह  कांप उठती है तेरे ऎसे प्यार जताने से ।
कबका कही दूर चली जाती तुमसे अगर डर ना होता इस जमाने से।
हर रोज नोचता है तू मुझे मेरा सिकारी करता है 
करनी होती है हवस तुझे पूरी अपनी और बोलता है तेरे प्यार के कि मेरा दिल बार बार मरता है।

.....✍️ साधु बाबा मासिक पीड़ा
उस पीड़ा का तुझे अनुमान नहीं जो सहती हूं हर माह क्या उसका ज्ञान नहीं ।
परेशान हो गई हूं में तेरे इस बहाने से ये अब  रूह  कांप उठती है तेरे ऎसे प्यार जताने से ।
कबका कही दूर चली जाती तुमसे अगर डर ना होता इस जमाने से।
हर रोज नोचता है तू मुझे मेरा सिकारी करता है 
करनी होती है हवस तुझे पूरी अपनी और बोलता है तेरे प्यार के कि मेरा दिल बार बार मरता है।

.....✍️ साधु बाबा मासिक पीड़ा