प्रकृति की गोद में स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी यह सोचकर, अच्छे हों या बुरे मिलें तारूंगी खोजकर। सोचा था मैं बहूंगी में, निर्मल जल धारा। पर मैं कह नहीं सकती, अब और शवों को सह नहीं सकती। मैं तो गंगा गंगा मां हू, कहती कर जोड़कर। स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी क्या सोचकर। #5Line Poetry ©Ramgopal Singh मै तो गंगा मां हूं। #AdhureVakya