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पलकों में छिपी सागर सी हो तुम । छलक जाती हो यू ह



पलकों में छिपी सागर सी हो तुम ।
छलक जाती हो यू ही कभी-कभी।
 किसी ख्वाहिश सी चंचल हो तुम ।
तुम्हारे सपनों का कोई आकर नही ।
लेकिन उनको पूरा करने की ताकत 
हो तुम ।
बन्द  करके पलकों को देखती हो जब ख्वाब 
छलक  जाती  हो कभी-कभी तुम ।
कभी ऐसे मिलती हो जैसे फिर कभी  न मिलोगी।
कभी ऐसे जीती हो जैसे जिंदगी ओर बाकी नही ।
कभी चट्टान सी कठोर कभी मोम सी हो तुम दुआ ये देते है सब तुम्हे जो खुशी देना चाहे 
भगवान् वो है जो सबको जिंदगी देना चाहे ।
 कभी ङर से कोसो दूर कभी सहम जाती हो तुम ।
सब कहते है तुमसे जाने कैसी हो तुम ।
पलकों में छिपी सागर सी हो तुम ।।।।।।। NEELU Chaudhary  Mamta Kumari Rahul Kumar


पलकों में छिपी सागर सी हो तुम ।
छलक जाती हो यू ही कभी-कभी।
 किसी ख्वाहिश सी चंचल हो तुम ।
तुम्हारे सपनों का कोई आकर नही ।
लेकिन उनको पूरा करने की ताकत 
हो तुम ।
बन्द  करके पलकों को देखती हो जब ख्वाब 
छलक  जाती  हो कभी-कभी तुम ।
कभी ऐसे मिलती हो जैसे फिर कभी  न मिलोगी।
कभी ऐसे जीती हो जैसे जिंदगी ओर बाकी नही ।
कभी चट्टान सी कठोर कभी मोम सी हो तुम दुआ ये देते है सब तुम्हे जो खुशी देना चाहे 
भगवान् वो है जो सबको जिंदगी देना चाहे ।
 कभी ङर से कोसो दूर कभी सहम जाती हो तुम ।
सब कहते है तुमसे जाने कैसी हो तुम ।
पलकों में छिपी सागर सी हो तुम ।।।।।।। NEELU Chaudhary  Mamta Kumari Rahul Kumar