पलकों में छिपी सागर सी हो तुम । छलक जाती हो यू ही कभी-कभी। किसी ख्वाहिश सी चंचल हो तुम । तुम्हारे सपनों का कोई आकर नही । लेकिन उनको पूरा करने की ताकत हो तुम । बन्द करके पलकों को देखती हो जब ख्वाब छलक जाती हो कभी-कभी तुम । कभी ऐसे मिलती हो जैसे फिर कभी न मिलोगी। कभी ऐसे जीती हो जैसे जिंदगी ओर बाकी नही । कभी चट्टान सी कठोर कभी मोम सी हो तुम दुआ ये देते है सब तुम्हे जो खुशी देना चाहे भगवान् वो है जो सबको जिंदगी देना चाहे । कभी ङर से कोसो दूर कभी सहम जाती हो तुम । सब कहते है तुमसे जाने कैसी हो तुम । पलकों में छिपी सागर सी हो तुम ।।।।।।। NEELU Chaudhary