एक और जमीं का सितारा,आसमां को प्यारा हो गया हमारे इस जग से वो न्यारा हो गया, जो भी था हिसाब सारा हो गया, देखते ही देखते वो छोटा सा मोती ना जाने कहा खो गया। उम्मीदों की ख्वाहिश लिए उम्र भर जगमग करता रहा, ना जाने कौन से दर्द के लिए दिन रात मरता रहा। और अपनी मंजिल को बढ़ाने के लिए अपनों को ऊंचाई पर चढाने के लिए, दिन रात दुनिया कि नजरों में अखरता रहा। वो मोती आसमान से गिरी ओश की बूंदों की धारा बन गया, देखते ही देखते वह जगमग रोशनी और ऊर्जा से भरा उस नीले गगन का जगमग सितारा बन गया। _ज्योति गुर्जर #मेरे_पापा