एगो लईकी करेजवा के भाइल रहे हमारे जियरा में उहै समाइल रहे..! आइस क्रीम नियर गोर गाल रहे और टमाटर नियर होंठ लाल रहे बड़ी कातिल ओकर स्माइल रहे....! कजरौटा नियर आँख करिया रहे हमरे जियले क उहे एगो जरिया रहे ओसे मिलले बदे मन अघुआइल रहे...! हाँथ जईसे मारुति के गियर रहे देंह पितरी के जइसन पीयर रहे अउर चेहरा पे हँसी गदराइल रहे...! राती सुतीं त ओकरा के सपना देखीं भोरे उठीं त अंखिया से अपना देखीं हमरे अंखिया पे हरदम छाइल रहे...! ओकर बोली जइसे गंगा के धार रहे उ पीयूष मिश्रा के अँखिया के तारा रहे प्यार में जेकरे प्रशान्त बौराइल रहें....! हमरे जियरा में उहे समाइल रहे....।।। --प्रशान्त मिश्रा "पीयूष" "ईगो लईकी करेजवा के..." #भोजपुरी