हमने खुद को खुद के बनाए दायरों में ही बांध रखा है। जब सोच बदलेगी, नजरिया बदलेगा तभी दायरा टूटेगा। अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए, खुद ऊंची उड़ान भरो। तोड़कर सारी बेड़ियों, सारे दायरों को खुद का आकाश चुनो। "अजीज/प्रिय" "कातिबों/लेखकों" 👉आज की बज़्म/प्रतियोगिता के लिए आज का हमारा अल्फ़ाज़/शब्द है 👇👇👇 🌱"दायरा/دائرہ"🌱 🌿"Daayra"🌿