ये शहर खुबसूरत सा लगता है जब से तुम मिले हो दिसंबर भी जनवरी सा लगता है जब से तुम मिले हो दुश्मन भी यार से लगते है जब से तुम मिले हो काटें भी फूल से खिलते है जब से तुम मिले हो धूप भी छांव सी लगती है जब से तुम मिले हो दोपहर भी शाम सी लगती है जब से तुम मिले हो दर्द भी सुकून से लगते है जब से तुम मिले हो ©Sanket Tandel तुम | Sanket Tandel | P से Poetry | हिंदी शायरी | Nojoto App