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कहीं के मनसबदार आज हम भी होते बस रात को दिन जो हम

कहीं के मनसबदार आज हम भी होते
बस रात को दिन जो हम भी कह देते
मुआवज़ा हमको भी अच्छा मिल ही जाता
एक ज़रा रूह की असीरी जो हम भी सह लेते असीरी - imprisonment
कहीं के मनसबदार आज हम भी होते
बस रात को दिन जो हम भी कह देते
मुआवज़ा हमको भी अच्छा मिल ही जाता
एक ज़रा रूह की असीरी जो हम भी सह लेते असीरी - imprisonment

असीरी - imprisonment