न जाने कब बस एक मुलाकात थी हाथ में तुम और सामने दाल-भात थी क्यों, कैसे, क्या हो गया बस प्यार का सिलसिला शुरू हो गया न जाने कब तुम को दिल से लगा के रखता और दूसरों को छोड तुमसे बात करता यहाँ, वहाँ हर जगह तुम रहती और हर बात तुम मुझसे शेयर करती न जाने कब फिर ऐसा क्या हुआ है तुमको क्या बात है, क्या राज है, बताओ तुझको क्यों मन फिराय बैठी हो बिना कहे, सुने तुम रूठी हो न जाने कब इतनी बातें सोची और की है याद तुमसे अलग होने के बाद पर तुमसे कब कहूँगा, बोलूँगा कब अपनी दिल की बात खोलूँगा न जाने कब Guess for what thing is poetry.. #DPF5 #DPF