तुम संग करनी अच्छी लगती है मुझे तारों की छाँव में आसमाँ से गुफ़्तगू। तुम्हारे साथ होने से पूरी होती मेरे चाँद की डोली की जुस्तुजू। मेरे ख़्वाबों को पर लग जाएँ उड़ के गगन को छूलूँ जो साथ है तू। तू जो नहीं तो कुछ भी नहीं है ना कोई हसरत ना कोई आरज़ू। टुकड़ों में नहीं चाहिए साथ तुम्हारा मेरी हक़ीक़त सदा के लिए बन जा तू। तुझसे हसीं और भी होंगें जहाँ में मगर मेरे लिए सबसे हसीं सबसे नायाब बस तू । ♥️ Challenge-681 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।