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#OpenPoetry खाली तालाब में कैसे तर रहा हूँ मैं जब

#OpenPoetry खाली तालाब में कैसे तर रहा हूँ मैं
जब सांसें चल रही है तो कैसे मर रहा हूँ मैं
ये टिक टिक टिक टिक टिक टिक आवाजें कानों को सुनाई देती हैं
जब धड़कने चल रही है तो कैसे डर रहा हूँ मैं
अरे! डर किस बात का क्या उस्से डर जाऊँगा 
इतना कमज़ोर हूँ क्या जो उसकी बेवफाई पर मर जाऊँगा 😄😄😄😄😄😄
#OpenPoetry खाली तालाब में कैसे तर रहा हूँ मैं
जब सांसें चल रही है तो कैसे मर रहा हूँ मैं
ये टिक टिक टिक टिक टिक टिक आवाजें कानों को सुनाई देती हैं
जब धड़कने चल रही है तो कैसे डर रहा हूँ मैं
अरे! डर किस बात का क्या उस्से डर जाऊँगा 
इतना कमज़ोर हूँ क्या जो उसकी बेवफाई पर मर जाऊँगा 😄😄😄😄😄😄