साहित्य साधन है भावो की अभिव्यक्ति सुनने को , जब कोई न पास होता है । झट से लेखनी उठता हूं और , काव्य के सानिध्य में जाता हूं । सहारा साधन का पाते ही मै , भावो को साध्य तक पहुंचाता हूं कि प्यारा सा मंडल था शिक्षा निधी, चलता था अपनी स्वेच्छा से , न थी कोई विधि । कभी शिक्षा संबंधी विषय पर चर्चे होते तो कभी अपनी बिती सुनने में समय गुज़र जाता था । समय समय पर ,व्यांगो की बौछार होती थी, तो कभी छड़ी से मेहंदी रचाई जाती थी । आप , भैया को किस रूप याद करेंगे ? पांच वर्ष के सेवा को किस भाव से तौलेगे ? खट्टे मीठे स्मृतियों को संजोए , आप से विदा लेता हूं , लौटेगी रौनक आंगन कर दोबारा , इस बात का आश देता हूं । ©Krishna ka kavya साहित्य साधना है ... #letter