वृक्ष यूं मुझपर आघात ना करो बेदर्दी से बर्बाद न करो आवाज़ नहीं मेरे दर्द में तपिश दूं जलकर सर्द में मानो हूं तुम्हारा हमदर्द मैं जड़ों से मुझे समाप्त न करो लाखों जीवों का शरणस्थल अटल रहता हो निश्चल अंधकारमय न हो कल मेरे जीवन की रात न करो सांसें दे कर पाल रहा हूं संकट सर्व टाल रहा हूं यूं मुझ पर वज्रपात न करो बेदर्दी से बर्बाद न करो ।। #nojotohindi#वृक्ष#kavita#poetry#forests#deforestation