"आ सावन धरती धोरा री" आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet - Ran parmar आ सावन धरती धोरा री