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बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को असली नशा तो अद

बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
असली नशा तो अदाओं में होता हैं,
उस नसे की बराबरी शराब क्या करेगी
 जो नशा मुहब्बत में, चाहत है, इबादत में होता हैं,
भला जाम से क्या झलकेगा वो नशा,
जो महबूब की नशीली निगाहों में होता है,
अजी बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
'आकाश' असली नशा तो इंसान में होता हैं।

©Pawan Singh Prajapati बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
असली नशा तो अदाओं में होता हैं,
उस नसे की बराबरी शराब क्या करेगी
 जो नशा मुहब्बत में, चाहत है, इबादत में होता हैं,
भला जाम से क्या झलकेगा वो नशा,
जो महबूब की नशीली निगाहों में होता है,
अजी बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
'आकाश' असली नशा तो इंसान में होता हैं।
बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
असली नशा तो अदाओं में होता हैं,
उस नसे की बराबरी शराब क्या करेगी
 जो नशा मुहब्बत में, चाहत है, इबादत में होता हैं,
भला जाम से क्या झलकेगा वो नशा,
जो महबूब की नशीली निगाहों में होता है,
अजी बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
'आकाश' असली नशा तो इंसान में होता हैं।

©Pawan Singh Prajapati बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
असली नशा तो अदाओं में होता हैं,
उस नसे की बराबरी शराब क्या करेगी
 जो नशा मुहब्बत में, चाहत है, इबादत में होता हैं,
भला जाम से क्या झलकेगा वो नशा,
जो महबूब की नशीली निगाहों में होता है,
अजी बेकार में लोग बदनाम करते है शराब को
'आकाश' असली नशा तो इंसान में होता हैं।