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ख्वाहिशें जो उमड़ रही थी मन ही मन मे मर रही थी द

ख्वाहिशें  जो  उमड़  रही थी
मन ही मन मे मर रही थी
दिल की बातें किससे कहता
आसमान  से  तारा  टूटा

              कोई ख्वाहिश कैसे माँगू
              तारो ने हर बार छला था
              पुरानी  मन्नते पूरी कर दे
              इतना  सा  मैं  मांग बैठा

                                     तारे टिमटिम  रोज करते
                                     टूटते और  रोज बिखरते
                                     चमकीली  सी रौशनी में
                                     ख्वाहिशे हम रोज करते

                                                   एक दिन फिर हुआ अनोखा
                                                   आसमान से तारा टूटा
                                                   मैं  भी  छुपकर  देख रहा था
                                                   मैं तो था तारो से रूठा

                                                                 तारो की क्या बात यही थी
                                                                 या  केवल  थे   हमसे  रूठे
                                                                ख्वाहिशे  अब  तब  मागेंगे
                                                                आसमान   से   चन्दा   टूटे

                                                                        ©गंगवार रामवीर #ramveer
ख्वाहिशें  जो  उमड़  रही थी
मन ही मन मे मर रही थी
दिल की बातें किससे कहता
आसमान  से  तारा  टूटा

              कोई ख्वाहिश कैसे माँगू
              तारो ने हर बार छला था
              पुरानी  मन्नते पूरी कर दे
              इतना  सा  मैं  मांग बैठा

                                     तारे टिमटिम  रोज करते
                                     टूटते और  रोज बिखरते
                                     चमकीली  सी रौशनी में
                                     ख्वाहिशे हम रोज करते

                                                   एक दिन फिर हुआ अनोखा
                                                   आसमान से तारा टूटा
                                                   मैं  भी  छुपकर  देख रहा था
                                                   मैं तो था तारो से रूठा

                                                                 तारो की क्या बात यही थी
                                                                 या  केवल  थे   हमसे  रूठे
                                                                ख्वाहिशे  अब  तब  मागेंगे
                                                                आसमान   से   चन्दा   टूटे

                                                                        ©गंगवार रामवीर #ramveer