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कौन कबूल करता है जब हम हरे भरे थे सभी डाले थे डे

कौन कबूल करता है

जब हम हरे भरे थे 
सभी डाले थे डेरा यहाँ
आज पतझड़ हो गए
इसलिए अकेले हैं यहाँ ।
कल तक जिस आंगन में,
चीं–चूं की सजती थी महफिले
आज उसी आंगन में ,
भूतों का लगता है डेरा ।
समय समय की बात है 
जिन्हें कल तक थे कुबूल
उन्होंने ही खड़ा कर दिया सवाल 
हम न होते तो कौन करता कुबूल!
खैर! अपने भी बहुरेंगे दिन
इतना तो है, पूरा विश्वास
जो अकेले छोड़ हैं भागे
वही फिर सजाएंगे महफिले।
दुनिया है ये गोल
काटकर चक्कर, फिर वहीं आना 
आज अगर है उनका दिन
पक्का, कल होगा तुम्हारा दिन।
थोड़ा विश्वास रखना होगा
थोड़ा संयम रखना होगा
लौटकर, सबको एक दिन
फिर से, वहीं हैं आना।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #2023Recap 
कौन कबूल करता है

जब हम हरे भरे थे 
सभी डाले थे डेरा यहाँ
आज पतझड़ हो गए
इसलिए अकेले हैं यहाँ ।
कल तक जिस आंगन में,
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

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2023Recap कौन कबूल करता है जब हम हरे भरे थे सभी डाले थे डेरा यहाँ आज पतझड़ हो गए इसलिए अकेले हैं यहाँ । कल तक जिस आंगन में,

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