इन आँखों के समन्दर ने मिरा दरिया डुबोया है मगर बिखरी हुई इस ज़ीस्त का धागा पिरोया है फ़लक से चाँदनी उतरी तिरा चेहरा शब्-ए-मगशीर कँवल मानो अँधेरे में यूँ शबनम ने भिगोया है शब्-ए-मगशीर (मार्गशीष के महीने की रात) #yqhindi #yqshayari #hindipoetry #shayari #sanubanu