वो सामने बाली छत पर आती थी , मैं उसका इन्तिज़ार अपनी छत पर करता था , वो आसमां सी गिरी पहली बून्द सी थी , मै बरसो की सूखी जमीं सा हो गया बो सूरज की पहली किरण सी , मैं काली रात के साया सा , वो हुश्न की कोई मूरत सी , मै उसका कोई मजनू आवारा सा , कहनी थी उससे दिल की बात बहोत , लेकिन कभी कह ना पाया था , उसकी एक झलक ने मेरा सारा होश भुलाया था, मेरी दिल की इस बेचैनी का कोई तो कुछ इलाज करो , कोई तो कह दो उससे दिल का हाल मेरा , कोई तो उससे फरियाद करो , कोई दूर नहीं है घर उसका , बो आज भी सामने बाली छत पर आती है, मै करता अपनी छत पर इन्तिज़ार उसका। written by Gaurav Rajput #samne bali cht