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वो सामने बाली छत पर आती थी , मैं उसका इन्तिज़ार

वो सामने बाली छत पर आती थी ,
मैं  उसका इन्तिज़ार   अपनी छत पर करता था ,
वो आसमां  सी गिरी पहली  बून्द सी थी ,
मै  बरसो की सूखी  जमीं  सा हो गया 
बो सूरज की पहली  किरण सी ,
मैं  काली रात के साया सा ,
वो हुश्न की कोई मूरत सी ,
मै  उसका कोई मजनू आवारा सा ,
कहनी थी उससे दिल की बात बहोत ,
लेकिन कभी कह ना पाया था ,
उसकी एक झलक ने मेरा सारा होश भुलाया था,
मेरी दिल की इस बेचैनी का कोई तो कुछ इलाज करो ,
कोई तो कह दो उससे दिल का हाल मेरा ,
कोई तो उससे फरियाद करो ,
कोई दूर नहीं है घर उसका ,
बो आज भी  सामने बाली  छत पर आती है,
मै  करता अपनी छत पर इन्तिज़ार उसका।
written by
Gaurav Rajput #samne bali cht
वो सामने बाली छत पर आती थी ,
मैं  उसका इन्तिज़ार   अपनी छत पर करता था ,
वो आसमां  सी गिरी पहली  बून्द सी थी ,
मै  बरसो की सूखी  जमीं  सा हो गया 
बो सूरज की पहली  किरण सी ,
मैं  काली रात के साया सा ,
वो हुश्न की कोई मूरत सी ,
मै  उसका कोई मजनू आवारा सा ,
कहनी थी उससे दिल की बात बहोत ,
लेकिन कभी कह ना पाया था ,
उसकी एक झलक ने मेरा सारा होश भुलाया था,
मेरी दिल की इस बेचैनी का कोई तो कुछ इलाज करो ,
कोई तो कह दो उससे दिल का हाल मेरा ,
कोई तो उससे फरियाद करो ,
कोई दूर नहीं है घर उसका ,
बो आज भी  सामने बाली  छत पर आती है,
मै  करता अपनी छत पर इन्तिज़ार उसका।
written by
Gaurav Rajput #samne bali cht