माना, रोज़-2 की भाग दौड़ से थोड़ा थक गए थे, माना, तेज़ रफ्तार ज़िंदगी से थोड़ा पक गए थे। सोचा ना था थम ही जाएगी ज़िंदगी, पूरी होगी हमारी दुआ यूँ, अब लगता है भागते दौड़ते ही ठीक थे, दुआ रंग ही लाई क्यों। हे इश्वर! सब पहले जैसा कर दो, पूरे विश्व पर संकट की स्थिति है छाई, समझ गए हम अब, तुम्हारी हर बात में, छुपी होती है कुछ भलाई। ना बेचैन होंगे छोटी-2 बातों को लेकर अब हम, कबूल करेंगे तेरी हर रज़ा, बहुत कुछ सिखाया तूने इन दिनों, समझ गए सब, अब दो ना और सज़ा। ----हे ईश्वर---