मेरी माँ 🌷🌷यूँ ही हम बड़े नहीं हुए ओ माँ ही है जो. मेहनत करती हमे सजाती थी 🌷🌷 कभी खिलती थी कभी पिलाती थी बिन कहे मेरे भूख प्यास यूँ ही समझ जाती थी कभी हंसती थी कभी हँसाती थी कभी बोलना भी ओ सिखाती थी कभी अपनी बीती तो कभी समाज पर बीती बातेँ बताती थी यहि दस्तूर है दुनिया का य़ह कहकर सुलाती थी सुबह उठाती संस्कार बताती थी प्यार जताती थी Parleji का छोटा पैकेट झट से पकड़ती थी यूँ ही हम बड़े नहीं हुए ओ माँ ही है जो मेहनत करती और हमे सजाती थी कभी हंसती थी कभी हँसाती थी दिन रात दुआ करती थी हर मन्दिर गुरुद्वारे में भटकती थी मन्नतें मानती दर्शन कराती थी 🌷🌷यूँ ही हम बड़े नहीं हुए ओ माँ ही है जो मेहनत करती और हमे सजाती थी🌷🌷 ©Aarav shayari #मेरी माँ #मेरी माँ #dost