" अदीप्ति " **************** मैं अकेला हूॅं भंवर में, उर्मियों में झूमता हूॅं। मृत्यु से परिचित नहीं हूॅं, मृत्यु को पर चूमता हूॅं।।१ मिट गये उत्साह सारे,