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लम्हें कस रहे थे मुट्ठियां हम,वक़्त फिसला जा रहा,

लम्हें कस रहे थे मुट्ठियां हम,वक़्त फिसला जा रहा,
देख तुझको जी गया दिल,मौत हारी हो गई।

आ गये यूं ख्वाब तेरे,वक़्त बेवक्त इस तरह,
जागता चारो पहर में,रात कारी हो गई। #लम्हा_ए_मुलाकात
लम्हें कस रहे थे मुट्ठियां हम,वक़्त फिसला जा रहा,
देख तुझको जी गया दिल,मौत हारी हो गई।

आ गये यूं ख्वाब तेरे,वक़्त बेवक्त इस तरह,
जागता चारो पहर में,रात कारी हो गई। #लम्हा_ए_मुलाकात