बचपन में हुई नादानी ढूँढता हूँ। पुराने दरिया में पानी ढूँढता हूँ। वो ढूँढता है,मुझमें चालाकियाँ कई, मैं उसमें अपनी रवानी ढूँढता हूँ।। कवि मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey #इश्क❤ #बचपन_की_यादें