तू आँखों ही आँखों में करता है शरारत, इस दिल में पल-पल बढ़ रही है चाहत। करते हैं दोनों एक दूजे की जो इबादत, दिल में बसाने की कर ली है हिमाकत। रहे सदियों तक यह दिलचस्प सोहबत, कर भी दे अब तू इज़हार-ए-मोहब्बत। इज़हार-ए-मोहब्बत •••••••••••••••••• तू आँखों ही आँखों में करता है शरारत, इस दिल में पल-पल बढ़ रही है चाहत। करते हैं दोनों एक दूजे की जो इबादत, दिल में बसाने की कर ली है हिमाकत।