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रोकता हूं, पर आंख भर भर आती, याद उनकी, मुझे रह रह

रोकता हूं, पर आंख भर भर आती,
याद उनकी, मुझे रह रह कर आती.

उनकी यादों का मुझसे राब्ता गहरा,
याद अब, जाए जिधर, उधर आती.

वक्त, घड़ी, लम्हे की मोहताज नहीं,
कहां याद किसी को पूछकर आती.

मैं भी कुछ कहता नही ये सोचकर,
याद है मुझे अपना समझकर आती.

©Dr. Mansi #मानसी

#Travel
रोकता हूं, पर आंख भर भर आती,
याद उनकी, मुझे रह रह कर आती.

उनकी यादों का मुझसे राब्ता गहरा,
याद अब, जाए जिधर, उधर आती.

वक्त, घड़ी, लम्हे की मोहताज नहीं,
कहां याद किसी को पूछकर आती.

मैं भी कुछ कहता नही ये सोचकर,
याद है मुझे अपना समझकर आती.

©Dr. Mansi #मानसी

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