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सुबह से धुप में हुँ पुरी तरह झुलस चुका हुँ। इस जि

सुबह से धुप में हुँ पुरी तरह झुलस चुका हुँ।

इस जिंदगी से कई बार उलझ चुका हुँ।

ये  जिंदगी  क्या  परेशान  करेगी मुझें

मुशकिलो के तुफानो से भी कई बार सुलझ चुका हुँ।

          
 आनंद विष्णुशाली

©Anand Dhiman
  सुबह से धुप में हुँ पुरी तरह झुलस चुका हुँ।

इस जिंदगी से कई बार उलझ चुका हुँ।

ये  जिंदगी  क्या  परेशान  करेगी मुझें

मुशकिलो के तुफानो से भी कई बार सुलझ चुका हुँ।

सुबह से धुप में हुँ पुरी तरह झुलस चुका हुँ। इस जिंदगी से कई बार उलझ चुका हुँ। ये जिंदगी क्या परेशान करेगी मुझें मुशकिलो के तुफानो से भी कई बार सुलझ चुका हुँ। #विचार

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