ये कविताएँ आयेंगी ( अनुशीर्षक में) ~प्रगति ऐ हीर मेरी जिन आँखों में कभी सुबह की सुनहरी लाली थी, उन आँखों में आँसू देख तो आज किरणें भी वापस लौट गईं। चाँद तो फिर भी गुम हो जाता है, तुम तो मेरा तारा हो।