ऐसा कुछ नहीं रहा ज़िंदगी में जिसे कह सकूं कि अच्छा था ना कोई दास्तां अच्छी थी ना कोई इंसान अच्छा था ज़रा सोचो मुझे किस तरह तेरे राज़ की हर ख़बर है नादान तुम ये सोचते हो कि वो हमराज़ अच्छा था उसके साथ मैं बेबस था उसके बिना मैं तन्हा हूं तन्हा इन रातों से वस्ल का इंतज़ार अच्छा था मिजाज़ तल्ख़ था उसका नियत में कई खोट थे ना वो दामन ही अच्छा था ना गिरेबान अच्छा था तू कामयाबी चाहता था बस दुआओं के सहारे ना तेरी कोशिशों में दम था ना वो खुदा अच्छा था इक मुस्कुराहट से खरीदा गया हूं इक रात में छोड़ा गया हूं ना मेरी कीमत अच्छी थी ना वो सौदा अच्छा था वफाएं भूलकर सभी परिंदा छोड़ गया दरख्तों को जो यूं होते हैं वफादार तो मैं दगाबाज अच्छा था कुछ यूं विदा लेना है दुनिया से रजत के ज़माना कह सके जैसा भी था जो भी था मगर इंसान अच्छा था ©Rajat melt in me