डगर कितना भी अविकसित हो सफर में हमेशा अडिग रहा हूँ हर राह हर कदम साथ रहा सबके मगर आज मेरे परछाई पे भी शक रहा है कैसे साबित करता कुछ भी जब मेरे नियत पे भी भर्म रहा है बस होने को हो रहा सबकुछ अब मैंने सबके जुबान पे खंजर रख दिया है टूट टूट कर अलग हो बिखर जाओगे ए कामिल ख़ामोश हो तुमने वजूद को भी नीलम कर रखा है । #kunalpoetry #कामिल_कवि #kunal #yqdidi #yqbaba #kunu