जनहित की रामायण - 34 देश में इक्कीस करोड़ बच्चे हैं बाल मजदूर, एक करोड़ महिलायें है दुष्कर्म को मजबूर ! इन हालातों में सुधार के प्रयास न के बराबर, आखिर क्यूं हम जनकल्याण से हो रहे दूर !! लाखों करोड़ का है इस देश का जमाखर्च, क्यूं जड़ से न मिटाते जनहित का हर मर्ज ? संविधान में अंकित जनकल्याण का उद्धिष्ट, हर हाल में निभना ही चाहिये ये अहम फ़र्ज !! चुनाव जीत पाना आम शरीफ़ का काम नहीं, राजनीति में ईमानदारी का कोई मुकाम नहीं ! छंटे हुओं के लिये छद्म आरक्षित है ये क्षेत्र, पल पल पनपते अपराध की रोकथाम नहीं !! कानूनी डन्ड़ा सिर्फ आमजन पर ही चलता है, खासजन तो ये डन्ड़ा हाथ में लेकर मचलता है ! फुटपाथ बनते है राहगीरों की सहूलियत के लिये, अक्सर फुटपाथ सत्ता सांठगांठ से खुला बिकता है !! हे राम ... - आवेश हिन्दुस्तानी 09.07.2021 ©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan #AaveshVaani #childlabour #mahila_samman